Navratri Day 4 – Ma Kushmanda aarti – माँ कूष्माण्डा जी की आरती.

Dsoton, wishing you all once again happy navratri. Today is Day 4 of Navrati dedicated to Ma Kushmanda. We bring you today Ma Kushmanda aarti – माँ कूष्माण्डा जी की आरती.

Today is the fourth day of Navratri. On this day, the fourth swaroop of Ma Durga, that is Ma Kushmanda is worshiped.

On this day the mind of the seeker is situated in the Anahata Chakra. Therefore, worshiping mother Kushmanda on this day keeps the grace of the mother on the person.

Please find below Ma Kushmanda aarti and Ma Kushmanda Mantra.

मां कूष्माण्डा की आरती – Ma Kushmanda aarti

चौथा जब नवरात्र हो, कूष्मांडा को ध्याते।

जिसने रचा ब्रह्मांड यह, पूजन है

आद्य शक्ति कहते जिन्हें, अष्टभुजी है रूप।

इस शक्ति के तेज से कहीं छांव कहीं धूप॥

कुम्हड़े की बलि करती है तांत्रिक से स्वीकार।

पेठे से भी रीझती सात्विक करें विचार॥

क्रोधित जब हो जाए यह उल्टा करे व्यवहार।

उसको रखती दूर मां, पीड़ा देती अपार॥

सूर्य चंद्र की रोशनी यह जग में फैलाए।

शरणागत की मैं आया तू ही राह दिखाए॥

नवरात्रों की मां कृपा कर दो मां

नवरात्रों की मां कृपा करदो मां॥

जय मां कूष्मांडा मैया। जय मां कूष्मांडा मैया॥


मां कूष्माण्डा के मंत्र – Ma Kushmanda Mantra

या देवी सर्वभू‍तेषु मां कूष्‍मांडा रूपेण संस्थिता | नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:

वन्दे वांछित कामर्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम् | सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्वनीम्॥

दुर्गतिनाशिनी त्वंहि दारिद्रादि विनाशिनीम् | जयंदा धनदां कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥

जगन्माता जगतकत्री जगदाधार रूपणीम् | चराचरेश्वरी कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥


ऐसी मान्यता है की इस सृष्टि का निर्माण माँ कूष्माण्डा ने की थी। माँ कूष्माण्डा का शरीर कांतिवान है और प्रभा सूर्य के समान तेज है।

माँ के प्रकाश से दशो दिशाएं उज्जवलित हैं। माँ की अष्टभुजा देवी के नाम से भी जाना जाता है।

माँ सात हाथों में कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा धारण किये हुए हैं और आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों की जपमाला सुसज्जित है

माँ कूष्माण्डा का वाहन सिंह है।


Navtri Day 3 – Ma Chandraghanta ki aarti

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!