Ganpati ji ki aarti – ओम जय गौरीनन्दा
ओम जय गौरीनन्दा, हरि जय गिरिजानन्दा । गणपति आनन्दकन्दा, गुरुगणपति आनन्दकन्दा । मैं चरणन वंदा। ओम जय गौरीनन्दा। सूंंड सूंडालो नेत्रविशालो कुण्डलझलकन्दा, हरि कुण्डल झलकन्दा। कुंकुम केशर चन्दन, कुंकुम केशर चन्दन, सिंदुर वदन बिंदा। ओम जय गौरीनन्दा। मुकुट सुघड सोहंता मस्तक शोभन्ता, हरि मस्तक शोभन्ता। बहियां बाजूबन्दा हरि बहियां बाजूबन्दा, पहुंची निरखन्ता। ओम जय गौरीनन्दा। रत्न जडित सिंहासन सोहत …