Badrinath Temple – बद्रीनाथ मंदिर

भगवान विष्णु को समर्पित चार धाम में से एक बद्रीनाथ मंदिर Badrinath Temple ( बद्रीनाथ मंदिर) है। अलकनंदा नदी के किनारे गढ़वाल पहाड़ियों में स्थित है।

इस मंदिर का उल्लेख 108 दिव्य देसमों में भी है, जिसमें भगवान विष्णु को समर्पित तीर्थयात्रियों का उल्लेख है। 108 दिव्य देसम भगवान विष्णु के १०८ प्रसिद्ध मंदिर हैं और हिन्दुओं के लिए महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल हैं।

हिमालय की गोद में 10,279 फीट की ऊंचाई पर हिमालय केवल छह महीने के लिए खुला रहता है। प्रतिकूल जलवायु और परिस्थितियों के कारण, मंदिर में जाना केवल ग्रीष्मकाल में ही सुलभ है।

यह नर और नारायण पहाड़ियों के करीब है। पीछे नीलकंठ पर्वत वास्तुकला के की पृष्ठभूमि में है जो शानदार है ।

Badrinath Temple ka itihas – बद्रीनाथ मंदिर का इतिहास

माना जाता है मंदिर श्री बद्रीनाथ धाम की स्थापना स्वयं, संत आदि शंकराचार्य ने की थी। इस मंदिर में काले पत्थर से बनी भगवान विष्णु की एक मूर्ति है।

इस मूर्ति की ऊंचाई लगभग 1 मीटर है। यह मूर्ति 8 स्वयंभू मूर्ती क्षत्रों में शामिल है यानि की यह वो स्थान है जहाँ भगवान विष्णु की स्वयंभू मूर्ती है ।

इस तीर्थयात्रा का उल्लेख भगवान विष्णु के 108 दिव्य देसमों में है।

यह मंदिर भगवान विष्णु के भक्तों के लिए एक विशेष स्थान रखते हैं।

हालांकि मंदिर केवल पूजा के लिए छह महीने के लिए खुला है, लेकिन यहां एक अखंड ज्योति है जो पूरे साल जलाई जाती है।

यानि की इसमें एक बार जो तेल डाला जाता है वो ६ महीनों तक आराम से चल जाता है और ज्योति जलती रहती है।

बद्रीनाथ मंदिर जाने का सही समय – Best time to visit the Badrinath Temple?

मंदिर केवल छह महीने के लिए भक्तों के लिए खुला है। अत्यधिक ठंड परिस्थितियों और ठंडे मौसम के कारण जो मनुष्य के लिए सहन करना आसान नहीं है।

यह अप्रैल से अक्टूबर के महीने तक खुला रहता है।

बद्रीनाथ मंदिर का समय – Badrinath temple timings

मंदिर का समय सुबह 4.30 बजे से दोपहर 1 बजे और फिर शाम 4.30 बजे से 9 बजे तक है।

कितना समय चाहिए मंदिर देखने के लिए

प्रत्येक भक्त को कम से कम 2-3 घंटे या उससे अधिक समय चाहिए मंदिर देखने के लिए।

मंदिर अप्रैल में प्रत्येक दिन अक्षय तृतीया की पूर्व संध्या पर खोला जाता है।

पूजा का आखिरी दिन भतृदित्य का दिन है। इस दिन के बाद मंदिर छह महीने के लिए बंद कर दिया जाता है।

उसके बाद मूर्ति को नरसिंह मंदिर ले जाया जाता है और मंदिर में केवल अखंड ज्योति ही जलती रहती है।

बद्रीनाथ मंदिर कैसे पहुंचे How to reach Badrinath Temple?

बद्रीनाथ मंदिर के लिए कोई सीधी ट्रेन नहीं हैं। आपको हरिद्वार या ऋषिकेश पहुँचने की आवश्यकता होगी।

  • आप बसों या टैक्सी के माध्यम से वहां से जा सकते हैं। मंदिर ऋषिकेश से 300 किमी की दूरी पर है और सड़क मार्ग से वहाँ पहुँचने में 12 घंटे लगते हैं।
  • आप देहरादून शहर में जॉली ग्रांट हवाई अड्डे , निकटतम हवाई अड्डे से हवाई मार्ग से भी जा सकते हैं। यहां से दूरी 314 किमी है जिसे सड़क द्वारा कवर किया जा सकता है। दिल्ली से दैनिक उड़ानें हैं और यह यह पूरी दुनिया से जुड़ा हुआ है।
  • निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है। यह भारत के विभिन्न स्थानों से रेल द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। वहां से आपको सड़क मार्ग से यात्रा करने की आवश्यकता होगी।
  • उत्तराखंड सरकार द्वारा किए गए एक नए प्रयास के अनुसार, देहरादून से हेलीकॉप्टर सेवा उन लोगों के लिए शुरू की गई है, जो अन्यथा कठिन इलाके तक नहीं पहुंच सकते।

बद्रीनाथ मंदिर Legend behind Badrinath Temple ?

प्रसिद्ध हिंदू कथा के अनुसार, भगवान विष्णु एक बार इस स्थान पर ध्यान लगाने के लिए बैठे थे।

जैसे ही मौसम गंभीर हो गया और बहुत ठंडा मौसम हो गया , माँ लक्ष्मी ने उन्हें बदरी वृक्ष के रूप में आकेें उन्हें छाया दी और बचा लिया।

भगवान विष्णु देवी लक्ष्मी की भक्ति से बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने उस स्थान का नाम बद्रिका आश्रम रखा जहां से यह समय के साथ इसका नाम बद्रीनाथ बन गया।

बद्रीनाथ मंदिर के आस पास देखने की जगह

( Places to visit near Badrinath Temple)

ताप कुंड:

यह एक गर्म सल्फर का कुंड है जिसे माना जाता है कि इसमें औषधीय मूल्य हैं। यह मंदिर में है। यह भी माना जाता है कि अलकनंदा नदी यहाँ से निकलती है।

प्रसिद्ध और बहुत रंगीन त्योहार जैसे कि – माता मूर्ति का मेला और बद्री केदार त्योहार बहुत हर्षोल्लास के साथ मनाए जाते हैं।

यहाँ पानी 45 डिग्री सेल्सियस पर है। यह भगवान अग्नि या अग्नि देवता का घर माना जाता है। यह अलकनंदा नदी के तट के करीब है, इसलिए भक्त कुंड के साथ-साथ नदी में भी डुबकी लगाते हैं।

माना जाता है कि कुंड के पानी में डुबकी आपको कई त्वचा रोगों से छुटकारा दिलाती है। भक्त इस कुंड में डुबकी लगाते हैं और मंदिर में अनुष्ठान के लिए प्रवेश करने से पहले खुद को शुद्ध करते हैं।

इसे हिंदू पौराणिक कथाओं में अग्नि तीर्थ के रूप में जाना जाता है।

एक मान्यता यह कहती है कि यह भगवान शिव के सिर से उत्पन्न हुआ था।

थर्मल ऊर्जा जो वहां मौजूद है वह अन्य जल निकायों की तुलना में बहुत अधिक है।

चरणपादुका:

माना जाता है की यहाँ जो पैरों के निशान हैं वो स्वयं भगवान विष्णु के हैं। यह एक चट्टान के शीर्ष पर 3380 फीट की ऊंचाई पर और मुख्य मंदिर से 3 किमी की दूरी पर स्तिथ है।

यहाँ तक पहुंचने के लिए कठिन ट्रेक की आवश्यकता होती है। यह चट्टान तीर्थ यात्रा के बहुत महत्वपूर्ण है और प्रत्येक वर्ष यहाँ भक्तों की काफी भीड़ रहती है।

यह पृथ्वी पर भगवान विष्णु का पहला कदम माना जाता है।

यह चट्टान नारायण पर्वत पर स्थित है। ट्रेक को पूरा करने में लगभग 1-2 घंटे लगते हैं।

वसुंधरा जलप्रपात:

ये प्रपात नर नारायण शिखर के बीच से निकलते हैं। यह माणा गांव में है जो मुख्य मंदिर से 9 किमी दूर है। यहाँ 12,000 फीट की ऊँचाई पर अलकनंदा नदी मिलती है।

इसे पांडवों का विश्राम स्थल भी माना जाता है। माना जाता है कि इस जल प्रपात की यात्रा आपके अशुद्ध विचारों को दूर करती है।

मैना नदी से 6 किमी की ट्रेकिंग करके भी यहाँ पहुँचा जा सकता है।

इसमें लगभग 2 घंटे लगते हैं। सरस्वती मंदिर को पार करने के बाद ट्रेक थोड़ा मुश्किल है।

भीम पुल:

यह सरस्वती नदी पर प्राकृतिक रूप से पत्थरों से बना एक पुल है। ऐसा माना जाता है कि यह भीम द्वारा महाभारत काल में बनाया गया था ।

यह पल एक मंत्रमुग्ध कर देने वाला दृश्य प्रस्तुत करता है

बद्रीनाथ में कहाँ ठहरें ? where to stay in Badrinath?

बद्रीनाथ एक धार्मिक जगह होने के वजह से यहाँ पर भक्तों की भीड़ रहती है। खासकर उन ६ महीनो मेंजब मंदिर खुला रहता है।

और इसलिए यहाँ रहने की पर्याप्त व्यवस्ता है। यहाँ कई लॉज, गेस्ट हाउस, होटल्स और रिसॉर्ट्स मौजूद है।

बस स्टैंड के पास या मंदिर के पास रहना ज्यादा उचित होगा क्योंकि इससे आपके लिए थोड़ा असानो होगी।

बद्रीनाथ में आश्रम ( Ashrams in Badrinath)

बद्रीनाथ में कई ऐसे आश्रम हैं जहाँ आप रह सकते हैं और वहां योग , ध्यान कर सकते हैं। कई आश्रम आयुर्वेद के भी अच्छे केंद्र होते हैं। यहाँ हम आपको कुछ ऐसे आश्रम की सूची दे रहें हैं जिनके बारे में आप सोच सकते हैं अगर आप बद्रीनाथ में हैं तो।

१- मानव कल्याण आश्रम – यह आश्रम मुख्या मंदिर मार्ग में ही है और अलकनंदा नदी के ऊपर की तरफ स्तिथ है। भद्रा विशाल मंदिर यहाँ से पैदल जाया जा सकता है।

२ – भोला गिरी आश्रम – यह भी बद्रीनाथ का एक माना हुआ आश्रम है. यद् रखिये की यह कोई होटल नहीं है

३ – बदरीकष रामा वनमाली आश्रम – यह आश्रम बद्रीनाथ मंदिर के बिलकुल पास में है। आप यहाँ पर पूजा, ध्यान , भंडारा आदि में भाग ले सकते हैं।

४ – परमार्थ लोक आश्रम – ये बद्रीनाथ मंदिर के पास एक बहुत बड़ा आश्रम है जो स्वामी चिन्मया नन्द द्वारा चलाया जाता है।

५- आंध्र आश्रम – यह आश्रमम साउथ इंडिया ट्रस्ट द्वारा चलाया जाता है। यहाँ भी बहुत अच्छे दर पे कमरे मिल जाते हैं। व्यवस्ता काफी अछि है और या आश्रम भी मंदिर के पास में स्तिथ है

६ – भजन आश्रम – मंदिर के पास स्तिथ इस आश्रम में यात्रिओं की सुविधा के लिए ४३ कमरे हैं। यहाँ एक आम जरूरत की सारी व्यवस्ता है।

७ – श्री हंस उत्त्राखण्ड आश्रम – यह आश्रम मुख्या बस स्टैंड के पास स्तिथ है।

८ – श्री ब्रम्हा ऋषि साधना आश्रम – यह आश्रम बस स्टैंड से लगभग एक किलोमीटर की दूरी पे स्तिथ है। यह आश्रम अलकनंदा नदी के तट पे स्तिथ है।

९ – साधु सुधा आश्रम – यह आश्रम भी बस स्टैंड से लगभग १ किलोमीटर की दूरी पे है

सो दोस्तों ये कुछ आश्रम के नाम थे जहाँ आप जा के रह सकते हैं। बस ये ध्यान रखें की ये आश्रम है और इनका मुख्या उद्देश्य यात्रियों के सेवा है। और शायद आपको इसका कोई ऑनलाइन बुकिंग का वेबसाइट न मिले।

अगर आप किसी होटल में रहना चाहते हैं तो बेहतर होगा की आप पहले से ही होटल बुक करवा लें ताकि कोई समस्या न हो।

बद्रीनाथ के बहुत ही सुन्दर जगह है और यहाँ पर आप अधिकतर समय बहार ही घूमना पसंद करेंगे।

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