Doston, the second day of Navratre is dedicaed to Ma Bramcharini मां ब्रह्मचारिणी. Wishing you all once again a very very happy Navratri. To all pir readers we bring you Ma Brahmacharini aarti मां ब्रह्मचारिणी की आरती.
Ma Brahmacharini aarti मां ब्रह्मचारिणी की आरती
जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता।
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।
ब्रह्मा जी के मन भाती हो।
ज्ञान सभी को सिखलाती हो।
ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा।
जिसको जपे सकल संसारा।
जय गायत्री वेद की माता।
जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।
कमी कोई रहने न पाए।
कोई भी दुख सहने न पाए।
उसकी विरति रहे ठिकाने।
जो तेरी महिमा को जाने।
रुद्राक्ष की माला ले कर।
जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।
आलस छोड़ करे गुणगाना।
मां तुम उसको सुख पहुंचाना।
ब्रह्माचारिणी तेरो नाम।
पूर्ण करो सब मेरे काम।
भक्त तेरे चरणों का पुजारी।
रखना लाज मेरी महतारी।
Ma Brahmacharini katha – मां ब्रह्मचारिणी कथा
मां दुर्गा के नौ रूपों में से दूसरा स्वरूप ब्रह्मचारिणी का है। ब्रह्म का अर्थ है तपस्या । मां दुर्गा का यह स्वरूप भक्तों और सिद्धों को अनंत फल देने वाला है।
इस दिन माँ ब्रम्हचारिणी की उपासना से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम की वृद्धि होती है।
ब्रह्मचारिणी का अर्थ तप की चारिणी यानी तप का आचरण करने वाली।
माँ का यह रूप पूर्ण ज्योतिर्मय और अत्यंत भव्य है। माँ के दाएं हाथ में जप की माला है और बाएं हाथ में माँ कमण्डल धारण किए हैं।
आइये माँ ब्रह्मचारिणी की कथा सुनते हैं –
पूर्वजन्म में माँ ने पर्वतराज हिमालय के घर में पुत्री रूप में जन्म लिया था और नारदजी केसलाह से भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी।
इस कठिन तपस्या के कारण इन्हें तपश्चारिणी अर्थात् ब्रह्मचारिणी नाम से भी जाना गया । एक हजार वर्ष तक इन्होंने केवल फल-फूल खाकर तपस्या की और समय के साथ तपस्या और कठोर होती गयी।
कई दिनों तक कठिन उपवास रखे और खुले आकाश के नीचे वर्षा और धूप के बीच घोर कष्ट के साथ तपस्या की ।
माँ तीन हजार वर्षों तक टूटे हुए बिल्व पत्र खाए और भगवान शंकर की आराधना करती रहीं। और फिर कई हजार वर्षों तक निर्जल और निराहार रह कर तपस्या करती रहीं।
पत्तों को भी खाना छोड़ देने के कारण ही इनका नाम अपर्णा नाम पड़ गया।
कठिन तपस्या के कारण माँ का शरीर एकदम क्षीण हो गया। देवता, ऋषि, सिद्धगण, मुनि सभी ने माँ ब्रह्मचारिणी की तपस्या को अभूतपूर्व पुण्य कृत्य बताया, सराहना की और कहा की आज तक किसी ने इस तरह की कठोर तपस्या नहीं की।
उन्होंने माँ को आशीर्वाद दिया की उनकी सब मनोकामना परिपूर्ण होगी और भगवान चंद्रमौलि शिवजी उन्हें पति रूप में प्राप्त होंगे।
माँ की इस कथा का सार यह है कि जीवन के कठिन संघर्षों में भी मन विचलित नहीं होना चाहिए।
नवरात्रों के दुसरे दिन माँ के इस स्वरूप के पूजा से भक्तों को माँ की असीम कृपा प्राप्त होती है।
आइये दोस्तों हम सब मिल के माँ की आराधना करते हैं !
Ma Brahmacharini mantra – मां ब्रह्मचारिणी मंत्र
ब्रह्मचारयितुम शीलम यस्या सा ब्रह्मचारिणी. सच्चीदानन्द सुशीला च विश्वरूपा नमोस्तुते..
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