Doston on the 6th Day of Navratri, Ma Katyayani is worshipped. Mytempletrips wishes once again a very happy Navratri to our readers. Please find Ma Katyayani Aarti in hindi and Ma Katyayani Mantra in hindi
Ma Katyayani is one of the most powerful avatars of Devi Durga. It is believed that Maa Katyayani eliminated Mahishasura
Ma Katyayani Aarti in hindi – माँ कात्यायनी जी की आरती
जय जय अंबे जय कात्यायनी । जय जगमाता जग की महारानी ।।
बैजनाथ स्थान तुम्हारा । वहां वरदाती नाम पुकारा ।।
कई नाम हैं कई धाम हैं । यह स्थान भी तो सुखधाम है ।।
हर मंदिर में जोत तुम्हारी । कहीं योगेश्वरी महिमा न्यारी ।।
हर जगह उत्सव होते रहते । हर मंदिर में भक्त हैं कहते ।।
कात्यायनी रक्षक काया की । ग्रंथि काटे मोह माया की ।।
झूठे मोह से छुड़ानेवाली । अपना नाम जपानेवाली ।।
बृहस्पतिवार को पूजा करियो । ध्यान कात्यायनी का धरियो ।।
हर संकट को दूर करेगी । भंडारे भरपूर करेगी ।।
जो भी मां को भक्त पुकारे । कात्यायनी सब कष्ट निवारे ।।
Ma Katyayani Mantra in hindi – माँ कात्यायनी मंत्र
चन्द्रहासोज्जवलकराशाईलवरवाहना। कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी।।
Ma Katyayani Vrat Katha In Hindi- माँ कात्यायनी व्रत कथा
नवरात्रि के छठे दिन माँ दुर्गा के छठे स्वरूप मां कात्यायिनी की आराधना की जाती है । इनकी उपासना और आराधना से भक्तों को अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति होती है और उनके रोग, शोक, संताप और भय नष्ट हो जाते हैं।
माँ कात्यायनी जी के संदर्भ में एक पौराणिक कथा प्रचलित है जिसके अनुसार एक समय कत नाम के प्रसिद्ध ॠषि हुए तथा उनके पुत्र ॠषि कात्य हुए।
उन्हीं के नाम से प्रसिद्ध हुआ कात्य गोत्र और इस गोत्र में विश्वप्रसिद्ध ॠषि कात्यायन उत्पन्न हुए थे. देवी कात्यायनी ने महर्षि कात्यायन के आश्रम में जनम लिया था।
देवी कात्यायनी देवताओं ,ऋषियों के संकटों को दूर करने लिए जनम लिया था और महर्षि कात्यायन जी ने देवी पालन पोषण किया था. इसीलिए इनका नाम देवी कात्यायनी पड़ा।
जब महिषासुर नामक राक्षस का अत्याचार बहुत बढ़ गया था, तब उसका विनाश करने के लिए हमारे त्रिदेवों – ब्रह्मा, विष्णु और भगवान शिव ने अपने अपने तेज़ और प्रताप का अंश देकर देवी कात्यायन को उत्पन्न किया था।
और ॠषि कात्यायन ने माँ भगवती की कठिन तपस्या, पूजा की थी . महर्षि कात्यायन जी की इच्छा थी कि भगवती उनके घर में पुत्री के रूप में जन्म लें.
देवी ने उनकी यह प्रार्थना स्वीकार की तथा अश्विन कृष्णचतुर्दशी को जन्म लेने के पश्चात शुक्ल सप्तमी, अष्टमी और नवमी, तीन दिनोंतक कात्यायन ॠषि ने इनकी पूजा की, दशमी को देवी ने महिषासुर का वध किया ओर देवों को महिषासुर के अत्याचारों से मुक्त किया.
माँ कात्यायिनी का स्वरूप अत्यंत दिव्य है और स्वर्ण के समान चमकीला है.
माँ की प्रिय सवारी सिंह है . इनकी चार भुजाएं भक्तों को वरदान देती हैं.
इनका एक हाथ अभय मुद्रा में है. तो दूसरा वरदमुद्रा में है. अन्य हाथों में तलवार और कमल का फूल है.
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