For all the devotees of Ma Durga - Please find below Shri Vindhyeshwari Chalisa - श्री विन्ध्येश्वरी चालीसा Ma Vindhyeshwari Chalisa ॥ दोहा ॥नमो नमो विन्ध्येश्वरी,नमो नमो जगदम्ब ।सन्तजनों के…
Shri Durga Aarti : For all the devotees for Ma Durga, friends find below Ma Durga Aarti - Jai Ambe Gauri.
Ma Durga, the reincarnation of ‘Shakti’. Also known by many other names like - Ma Parvati, Ma Ambe. Every year 2 times during navaratri, Ma Durga's 9 different forms are worshipped. For all the devotees of Ma Durga, please find below Shri Durga Aarti both in Hindi and English Script.
Jai Ambe Gauri - Maa Durga ji ki Aarti
Please find Lyrics of Ma Durga Aarti - Om Jai Ambe Gauri in Hindi and English
जय अम्बे गौरी मैया जय श्यामा गौरी । तुमको निशिदिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिव री ॥टेक॥
Jai ambe gauri, mayya jai shyama gauri Tumko nish-din dhyavat, hari brahma shivji Jai ambe gauri
मांग सिंदूर बिराजत टीको मृगमद को । उज्ज्वल से दोउ नैना चंद्रबदन नीको ॥जय अम्बे गौरी॥
Maang sindoor virajat, tiko mrig-mad ko Ujjwal se dou naina, chandra vadan niko ॥ Jai ambe gauri ॥
कनक समान कलेवर रक्ताम्बर राजै। रक्तपुष्प गल माला कंठन पर साजै ॥जय अम्बे गौरी॥
Kanak samaan kalewar, raktaambar raaje Rakt pushp gal-mala, kanthan par saaje ॥ Jai ambe gauri ॥
Durga Aarti – Jai Ambe Gauri – मां दुर्गा जी की आरती
Argala stotram ( अथार्गलास्तोत्रम् ) - श्री दुर्गा सप्तशती में देवी कवच के बाद अर्गला स्तोत्र पढ़ने का विधान है। इस पोस्ट में हम Argala stotram lyrics in hindi पढ़ेंगे ।
अर्गला कहते हैं अग्रणी या अगड़ी।
Argala stotram (अर्गला स्तोत्र ) का पाठ दुर्गा कवच के बाद और कीलक स्रोत के पहले किया जाता है। यह देवी माहात्म्य के अंतर्गत किया जाने वाला स्तोत्र सारी बाधाओं को दूर करने वाला।
किसी भी कार्य की सिद्धि के लिए आवश्यक है ।
इस स्तोत्र का पाठ नवरातत्रि के अलावा देवी पूजन या सप्तशती पाठ के साथ भी किया जाता है। अर्गला स्तोत्र अमोघ है। रूप, जय, यश देने वाला। नवरात्रि में इसको पढ़ने का विशेष विधान और महत्व है।
ऊं जयन्ती मङ्गला काली भद्रकाली कपालिनी । दुर्गा शिवा क्षमा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु ते ।1) जय त्वं देवी चामुण्डे जय भूतार्तिहारिणी जय सर्वगते देवी कालरात्रि नमोSस्तु ते। 2।
ॐ चंडिका देवी को नमस्कार है। मार्कण्डेय जी कहते हैं - जयन्ती, मंगला, काली, भद्रकाली, कपालिनी, दुर्गा, क्षमा, शिवा, धात्री, स्वाहा और स्वधा - इन नामों से प्रसिद्ध जगदम्बिके! तुम्हें मेरा नमस्कार हो। देवि चामुण्डे! तुम्हारी जय हो। सम्पूर्ण प्राणियों की पीड़ा हरने वाली देवि! तुम्हारी जय हो। सब में व्याप्त रहने वाली देवि! तुम्हारी जय हो। कालरात्रि! तुम्हें नमस्कार हो।।
मधु और कैटभ को मारने वाली तथा ब्रह्माजी को वरदान देने वाली देवि! तुम्हे नमस्कार है। तुम मुझे रूप (आत्मस्वरूप का ज्ञान) दो, जय (मोह पर विजय) दो, यश (मोह-विजय और ज्ञान-प्राप्तिरूप यश) दो और काम-क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो।। महिषासुर का नाश करने वाली तथा भक्तों को सुख देने वाली देवि! तुम्हें नमस्कार है। तुम रूप दो, जय दो, यश दो और काम-क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो ।।३-४।।
रक्तबीज का वध और चण्ड-मुण्ड का विनाश करने वाली देवि! तुम रूप दो, जय दो, यश दो और काम-क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो ।। शुम्भ और निशुम्भ तथा धूम्रलोचन का मर्दन करने वाली देवि! तुम रूप दो, जय दो, यश दो और काम-क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो ।।५-६।।
सबके द्वारा वन्दित युगल चरणों वाली तथा सम्पूर्ण सौभग्य प्रदान करने वाली देवि! तुम रूप दो, जय दो, यश दो और काम-क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो ।। देवि! तुम्हारे रूप और चरित्र अचिन्त्य हैं। तुम समस्त शत्रुओं का नाश करने वाली हो। तुम रूप दो, जय दो, यश दो और काम-क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो ।।७-८।।
पापों को दूर करने वाली चण्डिके! जो भक्तिपूर्वक तुम्हारे चरणों में सर्वदा (हमेशा) मस्तक झुकाते हैं, उन्हें रूप दो, जय दो, यश दो और काम-क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो ।। रोगों का नाश करने वाली चण्डिके! जो भक्तिपूर्वक तुम्हारी स्तुति करते हैं, उन्हें तुम रूप दो, जय दो, यश दो और काम-क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो ।।९-१०।।
चण्डिके! इस संसार में जो भक्तिपूर्वक तुम्हारी पूजा करते हैं उन्हें रूप दो, जय दो, यश दो और काम-क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो ।। मुझे सौभाग्य और आरोग्य (स्वास्थ्य) दो। परम सुख दो, रूप दो, जय दो, यश दो और काम-क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो ।।११-१२।।
जो मुहसे द्वेष करते हों, उनका नाश और मेरे बल की वृद्धि करो। रूप दो, जय दो, यश दो और काम-क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो ।। देवि! मेरा कल्याण करो। मुझे उत्तम संपत्ति प्रदान करो। रूप दो, जय दो, यश दो और काम-क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो ।। १३-१४।।
अम्बिके! देवता और असुर दोनों ही अपने माथे के मुकुट की मणियों को तुम्हारे चरणों पर घिसते हैं तुम रूप दो, जय दो, यश दो और काम-क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो ।। तुम अपने भक्तजन को विद्वान, यशस्वी, और लक्ष्मीवान बनाओ तथा रूप दो, जय दो, यश दो और काम-क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो ।।१५-१६।।
प्रचंड दैत्यों के दर्प का दलन करने वाली चण्डिके! मुझ शरणागत को रूप दो, जय दो, यश दो और काम-क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो ।। चतुर्भुज ब्रह्मा जी के द्वारा प्रशंसित चार भुजाधारिणी परमेश्वरि! तुम रूप दो, जय दो, यश दो और काम-क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो ।।१७-१८।।
देवि अम्बिके! भगवान् विष्णु नित्य-निरंतर भक्तिपूर्वक तुम्हारी स्तुति करते रहते हैं। तुम रूप दो, जय दो, यश दो और काम-क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो ।। हिमालय-कन्या पार्वती के पति महादेवजी के द्वारा होने वाली परमेश्वरि! तुम रूप दो, जय दो, यश दो और काम-क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो ।।१९-२०।।
शचीपति इंद्र के द्वारा सद्भाव से पूजित होने वाल परमेश्वरि! तुम रूप दो, जय दो, यश दो और काम-क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो ।। प्रचंड भुजदण्डों वाले दैत्यों का घमंड चूर करने वाली देवि! तुम रूप दो, जय दो, यश दो और काम-क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो ।।२१-२२।।
देवि! अम्बिके तुम अपने भक्तजनों को सदा असीम आनंद प्रदान करती हो। मुझे रूप दो, जय दो, यश दो और काम-क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो ।। मन की इच्छा के अनुसार चलने वाली मनोहर पत्नी प्रदान करो, जो दुर्गम संसार से तारने वाली तथा उत्तम कुल में जन्मी हो।।२३-२४।।
इदं स्तोत्रं पठित्वा तु महास्तोत्रं पठेन्नरः। स तु सप्तशती संख्या वरमाप्नोति सम्पदाम्। ॐ ।। २५।।
जो मनुष्य इस स्तोत्र का पाठ करके सप्तशती रूपी महास्तोत्र का पाठ करता है, वह सप्तशती की जप से मिलने वाले श्रेष्ठ फल और प्रचुर संपत्ति को प्राप्त करता है।
Day 5 Navratri is dedicated to Ma Skandmata - माँ स्कंदमाता. mytempletrips wishes its readers a happy Navrti and today we bring to you Ma Skandmata Aarti - माँ स्कंदमाता…
Dsoton, wishing you all once again happy navratri. Today is Day 4 of Navrati dedicated to Ma Kushmanda. We bring you today Ma Kushmanda aarti - माँ कूष्माण्डा जी की…
Doston, the second day of Navratre is dedicaed to Ma Bramcharini मां ब्रह्मचारिणी. Wishing you all once again a very very happy Navratri. To all pir readers we bring you…
mytempletrips wishes its readers a very very happy Nvratri pooja. On the first day of navratri Ma Shailputri is worshipped. We bring you the pooja vidhi and Ma Shailputri aarti.…
Powerful Durga Mantra - It is said that there is great connection of energy in Ma Durga's worship. Worshiping the Goddess relieves you of all problems. Here are some mantras of worshiping the Goddess in this article, which can give you peace of mind and energy.
मां दुर्गा के प्रभावशाली मंत्र : mytempletrips पे आपका स्वागत है और दोस्तों नीचे दिए गए माँ दुर्गा के मन्त्रों को जरूर ध्यान से जाप करें। ये मंत्र काफी प्रभावशाली है और माँ दुर्गा के ये मंत्र दुखों का नाश करने वाले हैं।
त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता हाश्रयतां प्रयान्ति।
अर्थातः देवी! तुम प्रसन्न होने पर सब रोगों को नष्ट कर देती हो और कुपित होने पर मनोवांछित सभी कामनाओं का नाश कर देती हो। जो लोग तुम्हारी शरण में जा चुके है। उनको विपत्ति तो आती ही नहीं। तुम्हारी शरण में गए हुए मनुष्य दूसरों को शरण देने वाले हो जाते हैं।
दु:ख-दारिद्र नाश करने वाला मंत्र (Powerful Durga Mantra)
द्रारिद्र दु:ख भयहारिणि का त्वदन्या। सर्वोपकारकारणाय सदाह्यद्र्रचिता।।
ऐश्वर्य, सौभाग्य, आरोग्य, संपदा प्राप्ति एवं शत्रु भय मुक्ति-मोक्ष प्रदान करने वाला मंत्र
ऐश्वर्य यत्प्रसादेन सौभाग्य-आरोग्य सम्पदः।
शत्रु हानि परो मोक्षः स्तुयते सान किं जनै॥
भय नाशक दुर्गा मंत्र (Powerful Durga Mantra)
सर्व स्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्ति समन्विते,
भयेभ्यास्त्रहिनो देवी दुर्गे देवी नमोस्तुते।
स्वप्न में कार्य सिद्धि-असिद्धि जानने के लिए
दुर्गे देवि नमस्तुभ्यं सर्वकामार्थ साधिके।
मम सिद्घिमसिद्घिं वा स्वप्ने सर्व प्रदर्शय।।
अर्थातः शरणागत की पीड़ा दूर करने वाली देवी हम पर प्रसन्न होओ। संपूर्ण जगत माता प्रसन्न होओ। विश्वेश्वरी! विश्व की रक्षा करो। देवी! तुम्ही चराचर जगत की अधिश्वरी हो।
मां के कल्याणकारी स्वरूप का वर्णन
सृष्टिस्थिति विनाशानां शक्तिभूते सनातनि।
गुणाश्रये गुणमये नारायणि! नमोऽस्तुते॥
अर्थातः हे देवी नारायणी! तुम सब प्रकार का मंगल प्रदान करने वाली मंगलमयी हो। कल्याणदायिनी शिवा हो। सब पुरुषार्थों को सिद्ध करने वाली शरणागतवत्सला, तीन नेत्रों वाली एवं गौरी हो, तुम्हें नमस्कार है। तुम सृष्टि पालन और संहार की शक्तिभूता सनातनी देवी, गुणों का आधार तथा सर्वगुणमयी हो। नारायणी! तुम्हें नमस्कार है।
Dear Friends, this Durga Kavach is in spoken hindi and will be helpful for people who find it difficult to recite it in Sanskrit or Hindi Chaupais. So below is…
For all the devotees of Ma Durga, please find below Shri Durga Chalisa in hindi - श्री दुर्गा चालीसा . It said that those who worship and recite this chalisa daily are blessed by Ma Durga.
शरणागत रक्षा करें , भक्त रहे निःशंक , मै आया तेरी शरण में माता लीजे अंक
|| जय दुर्गा मइया ||
Friends, Shri Durga Chalisa , श्री दुर्गा चालीसा is a very powerful way to start your day. Do recite Shri Durga Chalisa daily and seek Ma Durgas blessings.
Ma Durga Kavach in Hindi - जय माता की दोस्तों। माँ दुर्गा के भक्तों को माँ दुर्गा के कवच का महत्व बताने की जरूरत नहीं है। यह कवच से माँ दुर्गा की स्तुति करने से मन के सरे डर खत्म हो जाते है। यह कवच आपके और आपके परिवार को सुरक्षा प्रदान करना है। अगर आप Durga Kavach hindi text खोज रहे हैं तो हम नीचे Ma Durga Kavach का हिंदी में पाठ दे रहे हैं जिसे आप डाउनलोड भी कर सकते हैं।
माँ दुर्गा कवच - Ma Durga Kavach ( In Hindi - )
॥अथ श्री देव्याः कवचम्॥
॥जय माता की ॥
ऋषि मार्कंड़य ने पूछा जभी ! दया करके ब्रह्माजी बोले तभी !! के जो गुप्त मंत्र है संसार में ! हैं सब शक्तियां जिसके अधिकार में !! हर इक का कर सकता जो उपकार है ! जिसे जपने से बेडा ही पार है !! पवित्र कवच दुर्गा बलशाली का ! जो हर काम पूरे करे सवाल का !! सुनो मार्कंड़य मैं समझाता हूँ ! मैं नवदुर्गा के नाम बतलाता हूँ !! कवच की मैं सुन्दर चोपाई बना ! जो अत्यंत हैं गुप्त देयुं बता !! नव दुर्गा का कवच यह, पढे जो मन चित लाये ! उस पे किसी प्रकार का, कभी कष्ट न आये !! कहो जय जय जय महारानी की ! जय दुर्गा अष्ट भवानी की !! पहली शैलपुत्री कहलावे ! दूसरी ब्रह्मचरिणी मन भावे !! तीसरी चंद्रघंटा शुभ नाम ! चौथी कुश्मांड़ा सुखधाम !! पांचवी देवी अस्कंद माता ! छटी कात्यायनी विख्याता !! सातवी कालरात्रि महामाया ! आठवी महागौरी जग जाया !! नौवी सिद्धिरात्रि जग जाने ! नव दुर्गा के नाम बखाने !! महासंकट में बन में रण में ! रुप होई उपजे निज तन में !! महाविपत्ति में व्योवहार में ! मान चाहे जो राज दरबार में !! शक्ति कवच को सुने सुनाये ! मन कामना सिद्धी नर पाए !! चामुंडा है प्रेत पर, वैष्णवी गरुड़ सवार ! बैल चढी महेश्वरी, हाथ लिए हथियार !! कहो जय जय जय महारानी की ! जय दुर्गा अष्ट भवानी की !! हंस सवारी वारही की ! मोर चढी दुर्गा कुमारी !! लक्ष्मी देवी कमल असीना ! ब्रह्मी हंस चढी ले वीणा !! ईश्वरी सदा बैल सवारी ! भक्तन की करती रखवारी !! शंख चक्र शक्ति त्रिशुला ! हल मूसल कर कमल के फ़ूला !! दैत्य नाश करने के कारन ! रुप अनेक किन्हें धारण !! बार बार मैं सीस नवाऊं ! जगदम्बे के गुण को गाऊँ !! कष्ट निवारण बलशाली माँ ! दुष्ट संहारण महाकाली माँ !! कोटी कोटी माता प्रणाम ! पूरण की जो मेरे काम !! दया करो बलशालिनी, दास के कष्ट मिटाओ ! चमन की रक्षा को सदा, सिंह चढी माँ आओ !! कहो जय जय जय महारानी की ! जय दुर्गा अष्ट भवानी की !! अग्नि से अग्नि देवता ! पूरब दिशा में येंदरी !! दक्षिण में वाराही मेरी ! नैविधी में खडग धारिणी !! वायु से माँ मृग वाहिनी ! पश्चिम में देवी वारुणी !! उत्तर में माँ कौमारी जी! ईशान में शूल धारिणी !! ब्रहामानी माता अर्श पर ! माँ वैष्णवी इस फर्श पर !! चामुंडा दसों दिशाओं में, हर कष्ट तुम मेरा हरो ! संसार में माता मेरी, रक्षा करो रक्षा करो !! सन्मुख मेरे देवी जया ! पाछे हो माता विजैया !! अजीता खड़ी बाएं मेरे ! अपराजिता दायें मेरे !! नवज्योतिनी माँ शिवांगी ! माँ उमा देवी सिर की ही !! मालाधारी ललाट की, और भ्रुकुटी कि यशर्वथिनी ! भ्रुकुटी के मध्य त्रेनेत्रायम् घंटा दोनो नासिका !! काली कपोलों की कर्ण, मूलों की माता शंकरी ! नासिका में अंश अपना, माँ सुगंधा तुम धरो !! संसार में माता मेरी, रक्षा करो रक्षा करो !! ऊपर वाणी के होठों की ! माँ चन्द्रकी अमृत करी !! जीभा की माता सरस्वती ! दांतों की कुमारी सती !! इस कठ की माँ चंदिका ! और चित्रघंटा घंटी की !! कामाक्षी माँ ढ़ोढ़ी की ! माँ मंगला इस बनी की !! ग्रीवा की भद्रकाली माँ ! रक्षा करे बलशाली माँ !! दोनो भुजाओं की मेरे, रक्षा करे धनु धारनी ! दो हाथों के सब अंगों की, रक्षा करे जग तारनी !! शुलेश्वरी, कुलेश्वरी, महादेवी शोक विनाशानी ! जंघा स्तनों और कन्धों की, रक्षा करे जग वासिनी !! हृदय उदार और नाभि की, कटी भाग के सब अंग की ! गुम्हेश्वरी माँ पूतना, जग जननी श्यामा रंग की !! घुटनों जन्घाओं की करे, रक्षा वो विंध्यवासिनी ! टकखनों व पावों की करे, रक्षा वो शिव की दासनी !! रक्त मांस और हड्डियों से, जो बना शरीर ! आतों और पित वात में, भरा अग्न और नीर !! बल बुद्धि अंहकार और, प्राण ओ पाप समान ! सत रज तम के गुणों में, फँसी है यह जान !! धार अनेकों रुप ही, रक्षा करियो आन ! तेरी कृपा से ही माँ, चमन का है कल्याण !! आयु यश और कीर्ति धन, सम्पति परिवार ! ब्रह्मणी और लक्ष्मी, पार्वती जग तार !! विद्या दे माँ सरस्वती, सब सुखों की मूल ! दुष्टों से रक्षा करो, हाथ लिए त्रिशूल !! भैरवी मेरी भार्या की, रक्षा करो हमेश ! मान राज दरबार में, देवें सदा नरेश !! यात्रा में दुःख कोई न, मेरे सिर पर आये ! कवच तुम्हारा हर जगह, मेरी करे सहाए !! है जग जननी कर दया, इतना दो वरदान ! लिखा तुम्हारा कवच यह, पढे जो निश्चय मान !! मन वांछित फल पाए वो, मंगल मोड़ बसाए ! कवच तुम्हारा पढ़ते ही, नवनिधि घर मे आये !! ब्रह्माजी बोले सुनो मार्कंड़य ! यह दुर्गा कवच मैंने तुमको सुनाया !! रहा आज तक था गुप्त भेद सारा ! जगत की भलाई को मैंने बताया !! सभी शक्तियां जग की करके एकत्रित ! है मिट्टी की देह को इसे जो पहनाया !! चमन जिसने श्रद्धा से इसको पढ़ा जो ! सुना तो भी मुह माँगा वरदान पाया !! जो संसार में अपने मंगल को चाहे ! तो हरदम कवच यही गाता चला जा !! बियाबान जंगल दिशाओं दशों में ! तू शक्ति की जय जय मनाता चला जा !! तू जल में तू थल में तू अग्नि पवन में ! कवच पहन कर मुस्कुराता चला जा !! निडर हो विचर मन जहाँ तेरा चाहे ! चमन पाव आगे बढ़ता चला जा !! तेरा मान धन धान्य इससे बढेगा ! तू श्रद्धा से दुर्गा कवच को जो गाए !! यही मंत्र यन्त्र यही तंत्र तेरा ! यही तेरे सिर से हर संकट हटायें !! यही भूत और प्रेत के भय का नाशक ! यही कवच श्रद्धा व भक्ति बढ़ाये !! इसे निसदिन श्रद्धा से पढ़ कर ! जो चाहे तो मुह माँगा वरदान पाए !! इस स्तुति के पाठ से पहले कवच पढे ! कृपा से आधी भवानी की, बल और बुद्धि बढे !! श्रद्धा से जपता रहे, जगदम्बे का नाम ! सुख भोगे संसार में, अंत मुक्ति सुखधाम !! कृपा करो मातेश्वरी, बालक चमन नादाँ ! तेरे दर पर आ गिरा, करो मैया कल्याण !!